गुरुवार, 3 जनवरी 2019

हिन्दी साहित्य का इतिहास - हिन्दी साहित्य की पृष्ठभूमि


हिन्दी साहित्य का इतिहास - हिन्दी साहित्य की पृष्ठभूमि 



 *** हिन्दी साहित्य की पृष्ठभूमि के दो पक्ष हो सकते है। एक तो तात्कालिक पृष्ठभूमि, जिसके अंतर्गत उन समसामयिक प्रभावों और दबावों का विवेचन किया जाता है, जिनके भीतर रहते हुए साहित्य की रचना होती है। दूसरे, पीछे से चली आती वे पूर्व-परम्पराएँ, जिन्होंने जातीय मानसिकता का निर्माण किया। जातीय मानसिकता साहित्य को रचती है और उसमें अभिव्यक्ति भी होती है। इस संदर्भ में पृष्ठभूमि के अध्ययन का अर्थ इस्लाम के भारत-प्रवेश के पहले से चली आती परम्परा के उन घटकों का अध्ययन है, जो ‘भारतीय चिंता का स्वाभाविक विकास’ कहे जा सकते हैं। 

*** हिन्दी साहित्य के आदिकाल ने अपनी पृष्ठभूमि से इस विषयवस्तु और संवेदना की विरासत के साथ अपभ्रंश का भाषागत उत्तराधिकार भी पाया, जो आगे चलकर हिन्दीभाषी प्रदेश की अनेक बोलियों में विकसित हुआ।